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ओरिजनल अयोध्या मैटर अभ्यास जनसेवा केन्द्र इचौली

created Dec 7th, 02:07 by csc ichauli


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अयोध्या के भूपति श्री दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री रामचन्द्र जी ने रावण से घमासान युद्ध में उसकी नाभि में अमृत का भेद ज्ञात हो जाने पर झटपट रथ पर चढकर अपने प्रचण्ड बाणों का उसकी नाभि पर ऐसा प्रहार किया जिससे कुछ ही क्षणों में उसके प्राण पखेरू हो गये। ऋषियों का कहना है कि ऐसा विद्यावान मनुष्य अर्थात रावण की प्रकृति वाला व्यक्ति कभी सफल नही हो सकता इसलिये मनुष्य को कभी घमन्ड नही करना चाहिये।  

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