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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤ आपकी सफलता हमारा ध्येय ✤|•༻
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विचारण न्यायालय के अभिलेख में संलग्न आरोप-पत्र के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि लिपिकिय त्रुटि के कारण आरोपपत्र में अभियुक्त पर धारा 25-बी आयुध अधिनियम का आरोप विरचित किया गया है जबकि अभियुक्त के आधिपत्य से, जैसा कि अभियोजन पक्ष कथन से स्पष्ट है, देशी कट्टा और दो जिंदा कारतूस बरामद किये गये थे, जो अगला युद्ध आयुध है। अभिप्राय: यह है कि अभियुक्त पर धारा 25-ए आयुध अधिनियम के अंतर्गत आरोपपत्र विरचित किया जाना चाहिए था। इस बिंदु पर अपील ज्ञापन में कोई आपत्ति नहीं की गई है और साथ ही साथ अभियोजन साक्षीगण का कूटपरीक्षण करते हुये बचावपक्ष को इस बात का पूर्णतया भान रहा है कि उस पर अगला आयुध जप्ती का आरोप रहा है और उसने इसी आरोप के संबंध में अपना बचाव किया है। अत: उक्त तकनीकी या लिपिकिय त्रुटि की उपेक्षा किया जाना ही उचित होगा। प्रकरण में प्रस्तुत की गई संपूर्ण साक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुये अभियोजन, अभियुक्त पर युक्तियुक्त संदेह से परे धारा 25-ए आयुध अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध का आरोप स्थापित करने में पूर्णतया सफल रहा है। विचारण न्यायालय के निष्कर्ष उचित और वैधानिक हैं और उनमें हस्तक्षेप किये जाने की कोई औचित्यता या आवश्यकता प्रकट नहीं होती है। अपील ज्ञापन में ली गई आपत्तियां स्वीकार किये जाने योग्य नहीं हैं। बचावपक्ष को उनके द्वारा प्रस्तुत किये गये न्यायदृष्टांतों से कोई लाभ नहीं मिलता। इस अपराध के आरोप में अभियुक्त को दोषसिद्ध कर विचारण मजिस्ट्रेट ने कोई त्रुटि नहीं की है। विचारण मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया दंड भी समानपातिक है और अत्याधिक नहीं है। अभियुक्त को न्यूनतम दण्ड से दण्डित किया गया है, दण्ड हस्तक्षेप योग्य नहीं है यह दाण्डिक अपील सारहीन व निरर्थक होने से निरस्ती योग्य है। नि:संदेह है यह सत्य है कि संहिता के अन्तर्गत आने वाले किसी भी धारा आतंकवादी क्रियाकलाप या अंतर्राष्ट्रीय अपराध या ऐसा अपराध जिसके अन्तर्गत मुद्रा अंतरण के अंतर्वलित है।
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